विदेशी जीवनसाथी की शादी पंजीकरण पर राजस्थान हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
भारत में अंतरराष्ट्रीय विवाह (International Marriage) काफी बढ़ रहे हैं, लेकिन शादी पंजीकरण के समय अक्सर एक बड़ी समस्या सामने आती है—यदि पति या पत्नी में से कोई एक विदेशी नागरिक हो तो अधिकारी पंजीकरण से इनकार कर देते हैं। राजस्थान हाई कोर्ट, जयपुर बेंच द्वारा दिया गया यह हालिया निर्णय इसी समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है। अदालत ने स्पष्ट कहा है कि केवल विदेशी नागरिक होने के आधार पर विवाह पंजीकरण रोका नहीं जा सकता। यह फैसला हजारों दंपतियों के लिए राहत लेकर आया है, जो वर्षों से गलतफहमियों और मनमानी के कारण परेशान होते रहे हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
इस केस में पत्नी भारतीय नागरिक थीं और पति बेल्जियम के नागरिक। दोनों ने जनवरी 2010 में आर्य समाज, अजमेर में हिंदू रीति-रिवाज से विवाह किया। जब दोनों विवाह पंजीकरण के लिए पहुंचे, तो Registrar ने मौखिक रूप से कह दिया कि “पति विदेशी नागरिक है, इसलिए शादी रजिस्टर नहीं होगी।” न कोई लिखित कारण दिया गया, न कोई कानूनी आधार बताया गया। इस अन्याय के खिलाफ दंपति को हाई कोर्ट का सहारा लेना पड़ा और अंततः 2023 में अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
क्या नागरिकता शादी पंजीकरण में बाधा है?
अदालत ने साफ कहा कि—नहीं। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 और 7 में कहीं भी यह शर्त नहीं है कि शादी के पक्षकारों का भारतीय नागरिक होना जरूरी है। शादी का पंजीकरण केवल एक प्रमाण-पत्र है। इसका विवाह की वैधता से कोई संबंध नहीं है। यदि हिंदू विधि-विधान से विवाह हुआ है, तो नागरिकता की परवाह किए बिना वह वैध है।
हिंदू विवाह अधिनियम का विस्तृत विश्लेषण
Section 1(2) बताता है कि यह कानून भारत के बाहर रहने वाले हिंदुओं पर भी लागू होता है। इसका अर्थ है कि विदेशी हिंदू या NRI भारत में आकर हिंदू रीति से विवाह करता है, तो वह विवाह पूर्णतः वैध होगा। Section 8, जो विवाह पंजीकरण से संबंधित है, उसमें भी कहीं नहीं लिखा कि पंजीकरण के लिए भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है। इसलिए रजिस्टार द्वारा विदेशी नागरिकता के आधार पर मना करना संविधान के Article 14 (Equality Before Law) का उल्लंघन है।
अन्य हाई कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय
दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कई मामलों में स्पष्ट कहा है कि— Special Marriage Act हो या Hindu Marriage Act, दोनों में नागरिकता पंजीकरण का आधार नहीं है। यहाँ तक कि अदालत ने सरकार को अपने पोर्टल्स में सुधार का आदेश दिया, ताकि विदेशी नागरिक भी ऑनलाइन आवेदन कर सकें।
राजस्थान हाई कोर्ट की कठोर टिप्पणी
अदालत ने कहा कि— • न तो कानून में • न एप्लिकेशन फॉर्म में • न किसी नियम में कहीं भी यह उल्लेख नहीं कि विदेशी नागरिक की शादी रजिस्टर नहीं की जा सकती। इसलिए अधिकारी द्वारा मना करना कानून की गलत व्याख्या और मनमानी है।
विदेशी नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार
भारत में कई मौलिक अधिकार विदेशी नागरिकों को भी प्राप्त हैं, जैसे— • Article 14 – समानता • Article 21 – जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार • Article 25 – धर्म की स्वतंत्रता इन अधिकारों के आधार पर किसी विदेशी नागरिक की वैध शादी पंजीकरण से रोकना भेदभावपूर्ण है।
आर्य समाज विवाह प्रमाण-पत्र की मान्यता
अदालत ने कहा कि यदि विवाह वास्तविक है और साक्ष्य उपलब्ध हैं, जैसे— • सप्तपदी • विवाह की तस्वीरें • वीडियो • गवाहों के बयान तो आर्य समाज प्रमाण-पत्र एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है और रजिस्टार इसे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता।
स्पेशल मैरिज एक्ट की आवश्यकता नहीं
कई लोग समझते हैं कि यदि पार्टनर विदेशी है तो Special Marriage Act में विवाह करना अनिवार्य है। अदालत ने इस भ्रांति को भी दूर किया— यदि दो हिंदू धार्मिक रीति से विवाह करते हैं, तो वे Hindu Marriage Act के तहत पंजीकरण करा सकते हैं, भले ही एक पक्ष विदेशी हो। न उन्हें पुनः विवाह करने की आवश्यकता है, न ही 30 दिन के नोटिस पीरियड का इंतजार करना होगा।
हाई कोर्ट के अंतिम आदेश
• रजिस्टार तुरंत दंपति की शादी पंजीकृत करे • राज्य सरकार Marriage Registration Guidelines में संशोधन करे • सॉफ़्टवेयर और पोर्टल से “Indian Citizen Mandatory” हटाया जाए • किसी भी विदेशी नागरिक को वैध विवाह पंजीकरण से वंचित न किया जाए यह दिशा-निर्देश पूरे देश के लिए मिसाल बन गए हैं।
दंपति किन परिस्थितियों में हाई कोर्ट जा सकते हैं?
यदि रजिस्टार पंजीकरण से मना करे, तो दंपति के पास दो अधिकार हैं— 1. लिखित कारण मांगना 2. हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर करना अदालत ऐसे मामलों में तुरंत हस्तक्षेप करती है क्योंकि यह मौलिक अधिकारों का सवाल है।
आवश्यक दस्तावेज़
• विवाह प्रमाण-पत्र (Arya Samaj / पंडित) • विवाह की तस्वीरें • गवाहों के पहचान पत्र • पासपोर्ट और वीज़ा कॉपी • विवाह स्थल और तिथि का प्रमाण इन दस्तावेज़ों के आधार पर पंजीकरण आपका कानूनी अधिकार है।
सामाजिक महत्व
हर साल हजारों Cross-border marriages होती हैं। Marriage Certificate न मिलने से— • Visa अटक जाता है • Spouse Visa Reject हो जाता है • Immigration रुक जाता है • बच्चे के Birth Certificate में दिक्कत आती है इसलिए अदालत का यह निर्णय आधुनिक भारत की जरूरतों के अनुरूप और अत्यंत व्यावहारिक है।
निष्कर्ष: विदेशी जीवनसाथी की शादी पंजीकरण पूरी तरह वैध
यह फैसला स्पष्ट करता है कि विवाह की वैधता नागरिकता से नहीं, बल्कि धार्मिक विधियों और कानून से तय होती है। भारत में जो विवाह वैध है, उसके पंजीकरण का अधिकार हर व्यक्ति को है, चाहे वह किसी भी देश का नागरिक क्यों न हो।
कानूनी सहायता
यदि आपको भी विवाह पंजीकरण में समस्या आ रही है, विदेशी जीवनसाथी से विवाह हुआ है, या अधिकारी अनावश्यक रूप से मना कर रहा है, तो हमारी कानूनी टीम आपकी सहायता के लिए उपलब्ध है।
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